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Showing posts from May, 2020

विदेशी नाम वाली भारतीय ब्रांडेड कंपनियां।

हैलो दोस्तों आज हम लोग ऐसी ब्रांडेड कंपनियों के बारे में बात करेंगे जो नाम से तो विदेशी हैं, लेकिन हैं 100% भारतीय कंपनियां। इन देसी ब्रांड्स को आज तक आधे से ज्यादा लोग विदेशी ही समझते थे और इसी ब्रांड का इस्तेमाल आगे भी करते विदेशी ब्रांड समझकर। Hello friends, today we will talk about such branded companies which are foreign in name, but are 100% Indian companies.  Till today, more than half of the people considered these indigenous brands as foreign and used the same brand as foreign brands. मोंटे कार्लो(Monte Carlo) :- यह एक सौ फीसदी भारतीय ब्रांड है। पंजाब के लुधियाना स्थित नाहर ग्रुप ऑफ कंपनीज (ओसवाल वूलन मिल) इस ब्रांड की मालिक है। ओसवाल वूलन मिल की स्‍थापना 1949 में विद्या सागर ओसवाल ने की थी। वर्तमान में उनके बेटे जवाहर लाल ओसवाल कंपनी के चेयरमैन हैं। यह होजरी और ऊनी कपड़े बनाने की बहुत पुरानी कंपनी है। प्रीमियम वूलन गारमेंट्स के लिए इसने अपना एक ब्रांड तैयार किया है, जिसका नाम मोंटे कार्लो है। मोंटे कार्लो (Monte Carlo) की स्थापना साल 1984 में हुई थी, जिसके अंतर्गत पुरुष

Ocean Currents.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग महासागरीय धाराओं के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about ocean currents . महासागरीय धाराएं :- महासागर के जल के सतत एवं निर्देष्ट दिशा वाले प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं। एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक राशि के प्रवाह को महासागरीय जलधारा (Ocean Current) कहते हैं. इन्हें समुद्री धाराएँ भी कहते हैं। वस्तुतः महासागरीय धाराएं, महासागरों के अन्दर बहने वाली उष्ण या शीतल नदियाँ हैं। प्रायः ये भ्रांति होती है कि महासागरों में जल स्थिर रहता है, किन्तु वास्तव मे ऐसा नही होता है। महासागर का जल निरंतर एक नियमित गति से बहता रहता है और इन धाराओं के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक धारा में प्रमुख अपवहन धारा एवं स्ट्रीम करंट होती हैं। एक स्ट्रीम करंट की कुछ सीमाएं होती हैं, जबकि अपवहन धारा के बहाव की कोई विशिष्ट सीमा नहीं होती। पृथ्वी पर रेगिस्तानों का निर्माण जलवायु के परिवर्तन के कारण होता है। उच्च दाब के क्षेत्र एवं ठंडी महासागरीय जल धाराएं ही वे प्राकृतिक घटनाएं हैं, जिनकी क्रियाओं के फलस्वरूप सैकड़ों

Weathering and Erosion.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग अपक्षय और अपरदन के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about Weathering and Erosion . अपक्षय :- अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानों में टूट-फूट होती है। यह अपरदन से अलग है, क्योंकि इसमें टूटने से निर्मित भूपदार्थों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानान्तरण या परिवहन नहीं होता। यह अवघटना अपने ही स्थान पर होती है, इसके बाद निर्मित पदार्थों का कुछ हिस्सा अवश्य अपरदन के कारकों द्वारा परिवहन हेतु उपलब्ध हो जाता है। आमतौर पर इसे एक जटिल प्रक्रिया माना जाता है जिसमें वातावरण का तापमान, नमी, चट्टान की संरचना, दाब और विविध रासायनिक और जैविक कारक एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। Weathering: -  Weathering is the process by which rocks on the surface of the Earth break up.  This is different from erosion, because there is no transfer or transport of earthworks created by breakage.  This phenomenon occurs in its own place, after which some part of the manufactured material must be available for transportation

Parallel Universe (समानांतर ब्रह्माण्ड).

हैलो दोस्तों, आज हम लोग समानांतर ब्रह्माण्ड के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about the Parallel Universe . Image source- Google Image by- theindianwire.com समानांतर ब्रह्माण्ड :- कई बार यह माना गया है कि हम जिस ब्रह्माण्ड में रहते हैं, ठीक वैसा ही एक और ब्रह्माण्ड मौजूद है जहाँ आपकी और हमारी मौजूदगी विद्यमान हो सकती है जैसे कि यहाँ है। ज्यादातर वैज्ञानिक समानांतर ब्रह्माण्ड के बात को नकारते हैं। लेकिन कई हैं जो इस सिद्धांत को मानते हैं एवं इसपर शोध कर रहे हैं। अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि यहाँ कई पृथ्वी जैसे ग्रह मिले हैं। कई खगोल वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि इन ग्रहों पर जीवन है या नहीं या फिर जीवन होने की कितनी सम्भावना है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अंतरिक्ष में अनगिनत ब्रह्माण्ड हैं जहाँ अनगिनत तारे, सौर मंडल, ग्रह आदि मौजूद हैं। उसी के हिसाब से यह अनुमान लगाया गया कि जैसे पृथ्वी पर हालात हैं और घटनाएं घटित होती हैं, उसी प्रकार समानांतर ब्रह्माण्ड में किसी अन्य ग्रह पर इसी प्रकार की घटना हो रही होगी। Parallel Universe: -  Many times

Corona Virus (SARS- CoV 2).

कोरोना वायरस (Corona virus) :- Image source- Google Image by- newscientist.com कोरोना वायरस (Corona virus) कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है। गाय और सूअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों के ऊपरी श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। Corona virus :-   Corona virus is a group of several types of viruses that cause disease in mammals and birds.  These are RNA viruses.  They can cause respiratory tract infections in humans, the intensity of whic

Plateau.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग  पठारों के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about Plateaus . Image source- Google Image by- britannica.com पठार (Plateau) :- भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में  पठार  अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के 26% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं। धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से प्रयाप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई 600 मीटर तक होती हैं। Plateau :-  Plateaus are very important in the second class land forms found on land and they are found on 26% of the total land surface.  The typical land form of the ground, which is sufficiently high from the ground around it, and whose upper part is wide and flat, is called a plateau.  Their elevation is up to 600 meters above sea level. पठारों  की उत्पत्ति के कारक :- भू-गर्भिक हलचलें, जिनके कारण कोई समतल भू-भाग अपने समीप वाले धरातल से ऊपर उठ जाता हैं। एसी हलचलें जिनके कारण समीपवर्ती भू-भा

Buddha Purnima(बुद्ध पूर्णिमा).

आप सभी लोगों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। Wish you all a very Happy Buddha Purnima. Image source- Google Image by- getupdatedaily.com वेसक( वैशाख ) एक उत्सव है जो विश्व भर के बौद्धों एवं अधिकांश हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। यह उत्सव बुद्धपूर्णिमा को मनाया जाता है जिस दिन गौतम बुद्ध का जन्म और निर्वाण हुआ था तथा इसी दिन उन्हें बोधि की प्राप्ति हुई थी। विभिन्न देशों के पंचांग के अनुसार बुद्धपूर्णिमा अलग-अलग दिन पड़ता है। विभिन्न देशों में इस पर्व के अलग-अलग नाम हैं। उदाहरण के लिए, हांग कांग  में इसे बुद्ध जन्मदिवस कहा जाता है,  इंडोनेशिया   में 'वैसक' दिन कहते हैं, सिंगापुर  में 'वेसक दिवस' और थाईलैण्ड  में 'वैशाख बुच्छ दिन' कहते हैं। Vesak (Vaishakh) is a festival celebrated by Buddhists and most Hindus around the world.  This festival is celebrated on Buddha Purnima on the day Gautama Buddha was born and nirvana and on this day he attained Bodhi.  According to the almanac of different countries, Buddha Purnima falls on different days.

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Ocean Currents.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग महासागरीय धाराओं के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about ocean currents . महासागरीय धाराएं :- महासागर के जल के सतत एवं निर्देष्ट दिशा वाले प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं। एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक राशि के प्रवाह को महासागरीय जलधारा (Ocean Current) कहते हैं. इन्हें समुद्री धाराएँ भी कहते हैं। वस्तुतः महासागरीय धाराएं, महासागरों के अन्दर बहने वाली उष्ण या शीतल नदियाँ हैं। प्रायः ये भ्रांति होती है कि महासागरों में जल स्थिर रहता है, किन्तु वास्तव मे ऐसा नही होता है। महासागर का जल निरंतर एक नियमित गति से बहता रहता है और इन धाराओं के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक धारा में प्रमुख अपवहन धारा एवं स्ट्रीम करंट होती हैं। एक स्ट्रीम करंट की कुछ सीमाएं होती हैं, जबकि अपवहन धारा के बहाव की कोई विशिष्ट सीमा नहीं होती। पृथ्वी पर रेगिस्तानों का निर्माण जलवायु के परिवर्तन के कारण होता है। उच्च दाब के क्षेत्र एवं ठंडी महासागरीय जल धाराएं ही वे प्राकृतिक घटनाएं हैं, जिनकी क्रियाओं के फलस्वरूप सैकड़ों

Air masses and Fronts.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग वायु राशियां और वाताग्र के बारे में अध्ययन करेंगे। Hello friends, today we will study about Air masses and Fronts. वायु राशियां (Air masses) :- Image source- Google Image by- nationalgeographic.org वायुराशियाँ वायुमंडल का वह भाग हैं, जिसमें  तापमान तथा आद्रता  के भौतिक लक्षण क्षैतिज दिशा में एक समान होते हैं। ये वायु राशियां जिस मार्ग पर चलती हैं, उसकी तापमान और आद्रता सम्बन्धी दशाओं को परिमार्जित (Modify) करती हैं,  तथा स्वयं भी उनसे प्रभावित होती हैं। विश्व के विभिन्न भागों के मौसम में परिवर्तन विभिन्न वायुराशियों की क्रिया प्रतिक्रिया के कारण होती हैं। एक वायुराशि का  अनुप्रस्थ विस्तार कई हजार किमी  और ऊपर की ओर  क्षोभ मंडल  तक होता हैं। Air masses :- Air masses are the part of the atmosphere in which the physical characteristics of temperature and humidity are uniform in the horizontal direction.  These air quantities modulate the temperature and humidity conditions of the path on which they travel, and are themselves affected by them.

Tide and Ebb.

ज्वार-भाटा:- सूर्य और चन्द्रमा की  आकर्षण शक्तियों  के कारण सागरीय जल के  ऊपर उठने तथा नीचे गिरने  को  ज्वार -भाटा  कहा जाता हैं। इससे उत्पन्न तरंगो को  ज्वारीय तरंगे  कहा जाता हैं। Tide-Ebb:- The rising and falling of ocean water due to the attractiveness of the sun and the moon is called tides.  The waves resulting from this are called tidal waves. सागरीय जल  के  ऊपर उठकर तट की ओर बढ़ने  को  ज्वार (Tide)  तथा इस समय जल के उच्चतम तल को  उच्च ज्वार (High Tide)  कहते हैं। सागरीय जल के  तट से टकराकर वापस लौटने  को  भाटा (Ebb)  कहते हैं, तथा उससे निर्मित निम्न जल को  निम्न ज्वार (Low Tide)  कहते हैं। ज्वार -भाटा   सूर्य व चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल  तथा  पृथ्वी का अपकेंद्रीय बल  के कारण आता हैं। गुरुत्वाकर्षण व अपकेंद्रीय बलों  के प्रभाव के कारण प्रत्येक स्थान पर  12 घंटे  में ज्वार आना चाहिए लेकिन यह  चन्द्रमा के सापेक्ष पृथ्वी के गतिशील  होने के कारण प्रतिदिन लगभग  26 मिनट  की देरी से आता हैं।  The rise of ocean water and moving towards the coast is called Tide and at