ब्रह्मास्त्र-
संभवत: दुनिया का पहला परमाणु बम छोड़ा था अश्वत्थामा ने। आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 का बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया।
शोधकार्य के बाद विदेशी वैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था। 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोधकार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था वह परमाणु बम के समान ही था। डॉ. वर्तक ने 1969-70 में एक किताब लिखी ‘स्वयंभू’। इसमें इसका उल्लेख मिलता है।
प्राचीन भारत में कहीं-कहीं ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का वर्णन मिलता है। रामायण में भी मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी।
ब्रह्मास्त्र एक परमाणु हथियार है जिसे दैवीय हथियार कहा गया है। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है। जो व्यक्ति इस अस्त्र को छोड़ता था वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था लेकिन अश्वत्थामा को वापस लेने का तरीका नहीं याद था जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए थे। रामायण और महाभारतकाल में ये अस्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास था।
रामायणकाल में जहां यह विभीषण और लक्ष्मण के पास यह अस्त्र था वहीं महाभारतकाल में यह द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृष्ण, कुवलाश्व, युधिष्ठिर, कर्ण, प्रद्युम्न और अर्जुन के पास था। अर्जुन ने इसे द्रोण से पाया था। द्रोणाचार्य को इसकी प्राप्ति राम जामदग्नेय से हुई थी। ऐसा भी कहा गया है कि अर्जुन को यह अस्त्र इंद्र ने भेंट किया था।
Brahmastra
Probably Ashwatthama had dropped the world's first atomic bomb. In modern times Robert Openheimer studied the Gita and Mahabharata deeply. He researched the destructive power of Brahmastra mentioned in the Mahabharata and named his mission Trinity (Trideva). A team of scientists did this work between 1939 and 1945 under the leadership of Robert. It was first tested on 16 July 1945.
After research, foreign scientists believe that atomic bomb was actually used in Mahabharata. 42 years ago, Padmakar Vishnu Vartak, a doctor and writer from Pune, said on the basis of his research that the Brahmastra used during the Mahabharata was the same as the atomic bomb. Dr. Vartak wrote a book 'Swayambhu' in 1969-70. It is mentioned in it.
Description of the use of Brahmastra is found somewhere in ancient India. Even in the Ramayana, when Laxman wanted to use the Brahmastra to fight Meghnad, Sri Ram stopped him saying that it is not appropriate to use it right now, because it will clear the whole of Lanka.
Brahmastra is a nuclear weapon called a divine weapon. It is believed to be the infallible and most dreaded weapon. The person who gave up this weapon also had the ability to take it back but Ashwatthama did not remember the way to withdraw which resulted in millions of casualties. In the Ramayana and Mahabharata period this weapon was with few warriors.
In the Ramayana period, where it was possessed by Vibhishana and Lakshmana, in the Mahabharata period it was with Dronacharya, Ashwatthama, Krishna, Kuvalashva, Yudhishthira, Karna, Pradyuman and Arjuna. Arjuna got it from Drona. Dronacharya got it from Ram Jamadagnay. It is also said that this weapon was presented to Arjuna by Indra.
ब्रह्मास्त्र के प्रकार-
ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे-बड़े और व्यापक रूप से संहारक। इच्छित, रासायनिक, दिव्य तथा मांत्रिक-अस्त्र आदि। माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता है। महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं।
Types of Brahmastra
There were many types of Brahmastra. Small-scale and widely destructive. Desired, chemical, divine and mantri-weapons etc. It is believed that the state of holocaust arises due to the collision of two Brahmastras. Due to this, there is a fear of the end of all the earth. The results of Brahmastra are given from chapters 13 to 15 of the Saptik festival in the Mahabharata.
ब्रह्मास्त्र का निर्माण-
वेद-पुराणों आदि में वर्णन मिलता है जगतपिता भगवान ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र की उत्पति की। ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म (ईश्वर) का अस्त्र। प्राचीनकाल में शस्त्रों से ज्यादा संहारक होते थे अस्त्र। शस्त्र तो धातुओं से निर्मित होते थे लेकिन अस्त्र को निर्मित करने की विद्या अलग ही थी।
प्रारंभ में ब्रह्मास्त्र देवी और देवताओं के पास ही हुआ करता था। प्रत्येक देवी-देवताओं के पास उनकी विशेषता अनुसार अस्त्र होता था। देवताओं ने सबसे पहले गंधर्वों को इस अस्त्र को प्रदान किया। बाद में यह इंसानों ने हासिल किया।
प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मंत्र, तंत्र और यंत्र के द्वारा उसका संचालन होता है। ब्रह्मास्त्र अचूक अस्त्र है, जो शत्रु का नाश करके ही छोड़ता है। इसका प्रतिकार दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही हो सकता है, अन्यथा नहीं।
Creation of Brahmastra
A description is found in the Vedas and Puranas etc. Lord Brahma created the Brahmastra to destroy the demons. Brahmastra means the weapon of Brahma (God). In ancient times, weapons were more destructive than weapons. Weapons were made of metals, but the art of manufacturing weapons was different.
Initially Brahmastra used to be near the Goddesses and Gods. Each of the deities had weapons according to their specialty. The Gods first granted this weapon to the Gandharvas. Later humans achieved this.
Each weapon has different god or goddess and is governed by mantra, tantra and yantra. Brahmastra is the infallible weapon, which destroys the enemy and leaves. This can be countered by other Brahmastra, otherwise not.
ब्रह्मास्त्र को छोड़े जाने का परिणाम-
महर्षि वेदव्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 वर्षों तक पर्जन्य वृष्टि (जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति) नहीं हो पाती।' महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए।
गौरतलब है कि हिरोशिमा में रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण गर्भ मारे गए थे और उस इलाके में 12 वर्ष तक अकाल रहा।
The result of omitting the Brahmastra-
Maharishi Ved Vyas writes that where the Brahmastra is left, there is no purgatory rain (origin of animals, trees, plants etc.) for 12 years. It is mentioned in the Mahabharata that due to Brahmastra, women living in the village were killed.
Significantly, Hiroshima was killed due to radiation fallout and there was a famine in that area for 12 years.
ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के प्राचीन प्रमाण-
सिन्धु घाटी सभ्यता (मोहन जोदड़ो, हड़प्पा आदि) में हुए अनुसंधान से ऐसे कई नगर मिले हैं, जो लगभग 5000 से 7000 ईसापूर्व अस्तित्व में थे। इन नगरों में मिले नरकंकालों की स्थिति से ज्ञात होता है कि मानो इन्हें किसी अकस्मात प्रहार से मारा गया है। इसके भी सबूत मिले हैं कि यहां किसी काल में भयंकर ऊष्मा उत्पन्न हुई थी। इन नरकंकालों का अध्ययन करन से पता चला कि इन पर रेशिएशन का असर भी था।
दूसरी ओर शोधकर्ताओं के अनुसार राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग 10 मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर रेडियो एक्टिविटी की राख की मोटी परत जमी है। इस परत को देखकर उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला गया जिसके समस्त भवन और लगभग 5 लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।
मुंबई से उत्तर दिशा में लगभग 400 किमी दूरी पर स्थित लगभग 2154 मीटर की परिधि वाला एक विशालकाय गड्ढा मिला है। शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी आयु लगभग 50,000 वर्ष है। इस गड्ढे के शोध के पता चलता है कि प्राचीनकाल में भारत में परमाणु युद्ध हुआ था।
Ancient evidence of the use of Brahmastra-
Research in the Indus Valley Civilization (Mohan Jodaro, Harappa etc.) has found many such cities, which existed around 5000 to 7000 BC. It is known from the state of hell in these cities that it has been killed by an accidental attack. There is also evidence that there was a terrible heat generated here at some time. Studying these hells, it was found that they also had an effect of rations.
On the other hand, according to the researchers, there is an area of three square miles about 10 miles west of Jodhpur in Rajasthan, where there is a thick layer of ash of radio activity. Seeing this layer, an ancient city was excavated near it, whose entire buildings and about 5 lakh inhabitants were destroyed by an explosion about 8,000 to 12,000 years ago.
A huge crater with a circumference of about 2154 meters is located about 400 km north of Mumbai. According to the researchers, it is about 50,000 years old. Research of this pit shows that there was a nuclear war in India in ancient times.
Thank You.
संभवत: दुनिया का पहला परमाणु बम छोड़ा था अश्वत्थामा ने। आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 का बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया।
शोधकार्य के बाद विदेशी वैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था। 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोधकार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था वह परमाणु बम के समान ही था। डॉ. वर्तक ने 1969-70 में एक किताब लिखी ‘स्वयंभू’। इसमें इसका उल्लेख मिलता है।
प्राचीन भारत में कहीं-कहीं ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का वर्णन मिलता है। रामायण में भी मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी।
ब्रह्मास्त्र एक परमाणु हथियार है जिसे दैवीय हथियार कहा गया है। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है। जो व्यक्ति इस अस्त्र को छोड़ता था वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था लेकिन अश्वत्थामा को वापस लेने का तरीका नहीं याद था जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए थे। रामायण और महाभारतकाल में ये अस्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास था।
रामायणकाल में जहां यह विभीषण और लक्ष्मण के पास यह अस्त्र था वहीं महाभारतकाल में यह द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृष्ण, कुवलाश्व, युधिष्ठिर, कर्ण, प्रद्युम्न और अर्जुन के पास था। अर्जुन ने इसे द्रोण से पाया था। द्रोणाचार्य को इसकी प्राप्ति राम जामदग्नेय से हुई थी। ऐसा भी कहा गया है कि अर्जुन को यह अस्त्र इंद्र ने भेंट किया था।
Brahmastra
Probably Ashwatthama had dropped the world's first atomic bomb. In modern times Robert Openheimer studied the Gita and Mahabharata deeply. He researched the destructive power of Brahmastra mentioned in the Mahabharata and named his mission Trinity (Trideva). A team of scientists did this work between 1939 and 1945 under the leadership of Robert. It was first tested on 16 July 1945.
After research, foreign scientists believe that atomic bomb was actually used in Mahabharata. 42 years ago, Padmakar Vishnu Vartak, a doctor and writer from Pune, said on the basis of his research that the Brahmastra used during the Mahabharata was the same as the atomic bomb. Dr. Vartak wrote a book 'Swayambhu' in 1969-70. It is mentioned in it.
Description of the use of Brahmastra is found somewhere in ancient India. Even in the Ramayana, when Laxman wanted to use the Brahmastra to fight Meghnad, Sri Ram stopped him saying that it is not appropriate to use it right now, because it will clear the whole of Lanka.
Brahmastra is a nuclear weapon called a divine weapon. It is believed to be the infallible and most dreaded weapon. The person who gave up this weapon also had the ability to take it back but Ashwatthama did not remember the way to withdraw which resulted in millions of casualties. In the Ramayana and Mahabharata period this weapon was with few warriors.
In the Ramayana period, where it was possessed by Vibhishana and Lakshmana, in the Mahabharata period it was with Dronacharya, Ashwatthama, Krishna, Kuvalashva, Yudhishthira, Karna, Pradyuman and Arjuna. Arjuna got it from Drona. Dronacharya got it from Ram Jamadagnay. It is also said that this weapon was presented to Arjuna by Indra.
ब्रह्मास्त्र के प्रकार-
ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे-बड़े और व्यापक रूप से संहारक। इच्छित, रासायनिक, दिव्य तथा मांत्रिक-अस्त्र आदि। माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता है। महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं।
Types of Brahmastra
There were many types of Brahmastra. Small-scale and widely destructive. Desired, chemical, divine and mantri-weapons etc. It is believed that the state of holocaust arises due to the collision of two Brahmastras. Due to this, there is a fear of the end of all the earth. The results of Brahmastra are given from chapters 13 to 15 of the Saptik festival in the Mahabharata.
ब्रह्मास्त्र का निर्माण-
वेद-पुराणों आदि में वर्णन मिलता है जगतपिता भगवान ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र की उत्पति की। ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म (ईश्वर) का अस्त्र। प्राचीनकाल में शस्त्रों से ज्यादा संहारक होते थे अस्त्र। शस्त्र तो धातुओं से निर्मित होते थे लेकिन अस्त्र को निर्मित करने की विद्या अलग ही थी।
प्रारंभ में ब्रह्मास्त्र देवी और देवताओं के पास ही हुआ करता था। प्रत्येक देवी-देवताओं के पास उनकी विशेषता अनुसार अस्त्र होता था। देवताओं ने सबसे पहले गंधर्वों को इस अस्त्र को प्रदान किया। बाद में यह इंसानों ने हासिल किया।
प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मंत्र, तंत्र और यंत्र के द्वारा उसका संचालन होता है। ब्रह्मास्त्र अचूक अस्त्र है, जो शत्रु का नाश करके ही छोड़ता है। इसका प्रतिकार दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही हो सकता है, अन्यथा नहीं।
Creation of Brahmastra
A description is found in the Vedas and Puranas etc. Lord Brahma created the Brahmastra to destroy the demons. Brahmastra means the weapon of Brahma (God). In ancient times, weapons were more destructive than weapons. Weapons were made of metals, but the art of manufacturing weapons was different.
Initially Brahmastra used to be near the Goddesses and Gods. Each of the deities had weapons according to their specialty. The Gods first granted this weapon to the Gandharvas. Later humans achieved this.
Each weapon has different god or goddess and is governed by mantra, tantra and yantra. Brahmastra is the infallible weapon, which destroys the enemy and leaves. This can be countered by other Brahmastra, otherwise not.
ब्रह्मास्त्र को छोड़े जाने का परिणाम-
महर्षि वेदव्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 वर्षों तक पर्जन्य वृष्टि (जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति) नहीं हो पाती।' महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए।
गौरतलब है कि हिरोशिमा में रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण गर्भ मारे गए थे और उस इलाके में 12 वर्ष तक अकाल रहा।
The result of omitting the Brahmastra-
Maharishi Ved Vyas writes that where the Brahmastra is left, there is no purgatory rain (origin of animals, trees, plants etc.) for 12 years. It is mentioned in the Mahabharata that due to Brahmastra, women living in the village were killed.
Significantly, Hiroshima was killed due to radiation fallout and there was a famine in that area for 12 years.
ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के प्राचीन प्रमाण-
सिन्धु घाटी सभ्यता (मोहन जोदड़ो, हड़प्पा आदि) में हुए अनुसंधान से ऐसे कई नगर मिले हैं, जो लगभग 5000 से 7000 ईसापूर्व अस्तित्व में थे। इन नगरों में मिले नरकंकालों की स्थिति से ज्ञात होता है कि मानो इन्हें किसी अकस्मात प्रहार से मारा गया है। इसके भी सबूत मिले हैं कि यहां किसी काल में भयंकर ऊष्मा उत्पन्न हुई थी। इन नरकंकालों का अध्ययन करन से पता चला कि इन पर रेशिएशन का असर भी था।
दूसरी ओर शोधकर्ताओं के अनुसार राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग 10 मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर रेडियो एक्टिविटी की राख की मोटी परत जमी है। इस परत को देखकर उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला गया जिसके समस्त भवन और लगभग 5 लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।
मुंबई से उत्तर दिशा में लगभग 400 किमी दूरी पर स्थित लगभग 2154 मीटर की परिधि वाला एक विशालकाय गड्ढा मिला है। शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी आयु लगभग 50,000 वर्ष है। इस गड्ढे के शोध के पता चलता है कि प्राचीनकाल में भारत में परमाणु युद्ध हुआ था।
Ancient evidence of the use of Brahmastra-
Research in the Indus Valley Civilization (Mohan Jodaro, Harappa etc.) has found many such cities, which existed around 5000 to 7000 BC. It is known from the state of hell in these cities that it has been killed by an accidental attack. There is also evidence that there was a terrible heat generated here at some time. Studying these hells, it was found that they also had an effect of rations.
On the other hand, according to the researchers, there is an area of three square miles about 10 miles west of Jodhpur in Rajasthan, where there is a thick layer of ash of radio activity. Seeing this layer, an ancient city was excavated near it, whose entire buildings and about 5 lakh inhabitants were destroyed by an explosion about 8,000 to 12,000 years ago.
A huge crater with a circumference of about 2154 meters is located about 400 km north of Mumbai. According to the researchers, it is about 50,000 years old. Research of this pit shows that there was a nuclear war in India in ancient times.
Thank You.
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