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Weathering and Erosion.

हैलो दोस्तों, आज हम लोग अपक्षय और अपरदन के बारे में अध्ययन करेंगे।
Hello friends, today we will study about Weathering and Erosion.

अपक्षय :-
Weathering

अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानों में टूट-फूट होती है। यह अपरदन से अलग है, क्योंकि इसमें टूटने से निर्मित भूपदार्थों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानान्तरण या परिवहन नहीं होता। यह अवघटना अपने ही स्थान पर होती है, इसके बाद निर्मित पदार्थों का कुछ हिस्सा अवश्य अपरदन के कारकों द्वारा परिवहन हेतु उपलब्ध हो जाता है।
आमतौर पर इसे एक जटिल प्रक्रिया माना जाता है जिसमें वातावरण का तापमान, नमी, चट्टान की संरचना, दाब और विविध रासायनिक और जैविक कारक एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।

Weathering: -
 Weathering is the process by which rocks on the surface of the Earth break up.  This is different from erosion, because there is no transfer or transport of earthworks created by breakage.  This phenomenon occurs in its own place, after which some part of the manufactured material must be available for transportation through the factors of erosion.
 It is generally considered to be a complex process in which atmospheric temperature, moisture, rock composition, pressure and various chemical and biological factors work together.

अपक्षय के प्रकार :-
चट्टानों के टूटने के कारण के आधार पर अपक्षय के तीन प्रकार बताये जाते हैं: भौतिक, रासायनिक और जैविक अपक्षय।
भौतिक अपक्षय :-
भौतिक अपक्षय अथवा यांत्रिक अपक्षय, वह अपक्षय है जिसमें चट्टानों के टूटने की प्रक्रिया में कोई रासायनिक बदलाव नहीं होता बल्कि ताप दाब इत्यादि कारकों द्वारा चट्टानों में टूट-फूट होती है। इसके भी कई प्रकार हैं -
जल की उपस्थिति में यांत्रिक अपक्षय।
नमक द्वारा अपक्षय।
सूर्याताप अपक्षय।
दाब मुक्ति द्वारा अपक्षय।
तनाव अपघर्षण अपक्षय।
रासायनिक अपक्षय :-
रासायनिक अपक्षय में चट्टानों के पदार्थों का रासायनिक गुण परिवर्तित होने और इसके कारण उनका कमजोर होकर टूटना शामिल किया जाता है। इसमें आक्सीकरण, कार्बनीकरण, जलयोजन और सिलिकाहनन जैसी प्रक्रियायें शामिल हैं।
जैविक अपक्षय :-
जैविक कारकों को कभी-कभी यांत्रिक और रासायनिक अपक्षय के सहायक कारक के रूप में भी देखा जाता है।
उदाहरण के लिए पेड़ों की जड़ों के विस्तार द्वारा चट्टानों का टूटना या चटकना एक प्रकार की जैव यांत्रिक प्रक्रिया है। वहीं वनस्पतियों के सड़ने से निर्मित ह्यूमिक अम्ल द्वारा चट्टान के कुछ पदार्थों का क्षालन और चट्टान का कमजोर होकर टूट जाना जैव-रासायनिक अपक्षय है।

Types of weathering: -
 Three types of weathering are described based on the cause of rock breakage: physical, chemical, and biological weathering.

 Physical Weathering: -
 Physical weathering or mechanical weathering is the weathering in which there is no chemical change in the process of breaking of rocks, but the rocks are broken by factors such as heat pressure.  It also has many types -
 Mechanical weathering in the presence of water.
 Weathering by salt.
 Sunburn weathering.
 Weathering by pressure release.
 Stress abrasion weathering.

 Chemical Weathering: -
 Chemical weathering involves changing the chemical properties of rocks and their weakening and breaking.  This includes processes such as oxidation, carbonisation, hydration, and siliconation.

 Biological Weathering: -
 Biological factors are sometimes seen as contributory factors to mechanical and chemical weathering.
 For example, the breaking or cracking of rocks by expanding the roots of trees is a type of biomechanical process.  At the same time, the erosion of some substances of rock by humic acid created by rotting of vegetation and weakening and breaking of rock is biochemical weathering.

अपक्षय को प्रभावित करने वाले कारक :-
चट्टान की संरचना :-
चट्टानों की सभी भौतिक एवं रासायनिक विशेषतायें संरचना के अन्तर्गत सम्मिलित की जाती हैं जैसे-चट्टानों की कठोरता व खनिज संरचना। चट्टानों के भौतिक गुण व खनिज संरचना यह निर्धारित करती हैं कि वे अपक्षय से किस प्रकार से प्रभावित होंगे। उदाहरण के रूप में रंध्रयुक्त तथा घुलनशील खनिजों वाली चट्टानों में रासायनिक अपक्षय की प्रक्रिया अतिशीघ्र होती है। चट्टानों की परत की स्थिति भी अपक्षय की सक्रियता को प्रभावित करती है। जिन चट्टानों में परतों की लम्बवत् स्थिति होती है उनमें विघटन तथा वियोजन की क्रियाएँ शीघ्र होती है जबकि क्षैतिज स्थिति वाले चट्टानों के परतों में अपक्षय अतिशीघ्र नहीं हो पाता।
जलवायु :-
जलवायु में अन्तर के कारण भी अपक्षय में पर्याप्त अंतर देखने को मिलता है। दूसरे शब्दों में, अपक्षय की दर तथा प्रकार तापमान व आर्द्रता द्वारा नियंत्रित होती है। यान्त्रिक या भौतिक अपक्षय ठण्डी जलवायु एवं मरुभूमि प्रदेशों में अधिक होता है जबकि रासायनिक अपक्षय गर्म तथा आर्द्र जलवायु में अधिक प्रभावी है।
स्थलाकृति :-
अपक्षय की प्रक्रिया स्थलाकृति की संरचना से भी प्रभावित होती है। मिट्टी का मोटा आवरण कम उच्चावच वाले क्षेत्रों में यान्त्रिक अपक्षय को कम करता है। किसी क्षेत्र में जल का प्रवाह रासायनिक अपक्षय को तीव्र करता है। स्थलाकृतियों का तीव्र ढाल भी अपक्षय की क्रिया को प्रभावित करता है।
प्राकृतिक वनस्पति :-
वनस्पति से आच्छादित क्षेत्रों में अपक्षय सीमित होता है। मरुभूमि वनस्पति के अभाव में अपक्षय से सीधे प्रभावित होती है। वनस्पति की जड़ें चट्टानों को संगठित रखती हैं जिससे अपक्षय का प्रभाव न्यून होता है किन्तु ये जड़ें चट्टानों को विखण्डित कर उसमें दरार भी उत्पन्न करती हैं जिससे चट्टानों में विखण्डन होता है। अतः प्राकृतिक वनस्पति अपक्षय के अवरोधक के साथ कारक भी है।

Factors affecting weathering: -

 Rock composition: -
 All physical and chemical characteristics of rocks are included in the structure such as hardness and mineral composition of rocks.  The physical properties and mineral composition of rocks determine how they will be affected by weathering.  For example, the process of chemical weathering in rocks with porous and soluble minerals is rapid.  The condition of the rock layer also affects the activation of weathering.  The rocks in which the layers are in a vertical position have disintegration and dissociation activity quickly, whereas the horizontal layers of rocks do not have weathering at the earliest.

 Climate :-
 Substantial differences in weathering are also seen due to differences in climate.  In other words, the rate and type of weathering are controlled by temperature and humidity.  Mechanical weathering is more prevalent in cold climate and desert regions while chemical weathering is more effective in hot and humid climate.

 Topography: -
 The process of weathering is also influenced by the structure of the topography.  The thick covering of the soil reduces mechanical weathering in areas with less relief.  The flow of water in an area intensifies chemical weathering.  The rapid gradient of the topography also affects the weathering.

 Natural Vegetation: -
 Weathering is limited in areas covered by vegetation.  Desertification is directly affected by weathering in the absence of vegetation.  The roots of the vegetation keep the rocks organized, which reduces the impact of weathering, but these roots disintegrate the rocks and also cause cracks in them, causing fragmentation in the rocks.  Hence natural vegetation is also a factor with inhibition of weathering.

अपरदन :-
Erosion

अपरदन वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चट्टानों का विखंडन और परिणामस्वरूप निकले ढीले पदार्थों का जल, पवन, इत्यादि प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरण होता है। अपरदन के प्रक्रमों में वायु, जल तथा हिमनद और सागरीय लहरें प्रमुख हैं।

समुद्रतट पर लहरों और ज्वारभाटा की क्रिया के कारण पृथ्वी के भाग टूटकर समुद्र में विलीन होते जाते हैं। मिट्टी अथवा कोमल चट्टानों के अलावा कड़ी चट्टानों का भी इन क्रियाओं से धीरे धीरे अपक्षय होता रहता है। वर्षा और तुषार भी इस क्रिया में सहायक होते हैं। वर्षा के जल में घुली हुई गैसों की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप, कड़ी चट्टानों का अपक्षय होता है। ऐसा जल भूमि में घुसकर अधिक विलेय पदार्थों के कुछ अंश को भी घुला लेता है और इस प्रकार अलग्न हुए पदार्थों को बहा ले जाता है।
वर्षा, पिघली हुई ठोस बर्फ और तुषार निरंतर भूमि का क्षरण करते हैं। इस प्रकार टूटे हुए अंश नालों या छोटी नदियों से बड़ी नदियों में और इनसे समुद्र में पहुँचते रहते हैं।
नदियों का अथवा अन्य बहता हुआ जल किनारों तथा जल की भूमि को काटकर, मिट्टी को ऊँचे स्थानों से नीचे की ओर बहा ले जाता है। ऐसी मिट्टी बहुत बड़े परिणाम में समुद्र तक पहुँच जाती है और समुद्र पाटने का काम करती है। समुद्र में गिरनेवाले जल में मिट्टी के सिवाय विभिन्न प्रकार के घुले हुए लवण भी होते हैं।
शुष्क प्रांतों में, जहाँ वनस्पति से ढंकी नहीं होती, वायु अपार बालुकाराशि एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाती है। इस प्रकार सहारा मरुभूमि की रेत, एक ओर सागर पार सिसिली द्वीप तक और दूसरी ओर नाइजीरिया के समुद्र तट तक, पहुँच जाती है। वायु द्वारा उड़ाया हुआ बालू ढूहों अथवा ऊँची चट्टानों के कोमल भागों को काटकर उनकी आकृति में परिवर्तन कर देता है। जल में बहा हुआ पदार्थ सदा ऊँचे स्थान से नीचे को ही जाता है, किंतु वायु द्वारा उड़ाई हुई मिट्टी नीचे स्थान से ऊँचे स्थानों को भी जा सकती है।
गतिशील हिम जिन चट्टानों पर से होकर जाता है उनका क्षरण करता है और इस प्रकार मुक्त हुए पदार्थ को अपने साथ लिए जाता है। वायु तथा नदियों के कार्य की तुलना में, ध्रुव प्रदेश को छोड़कर पृथ्वी के अन्य भागों में, हिम की क्रिया अल्प होती है।

Erosion: -
 Erosion is a natural process in which the fragmentation of rocks and the resulting loose material is transferred by processes of water, wind, etc.  Wind, water and glacial and oceanic waves are prominent in erosion processes.

 Due to the action of waves and tides on the beach, parts of the earth break and merge in the sea.  Apart from clay or soft rocks, hard rocks also undergo weathering slowly.  Rain and frost are also helpful in this activity.  Due to the chemical reaction of gases dissolved in rainwater, hard rocks undergo weathering.  Such water enters the ground and dissolves some of the more soluble substances and thus dissolves the dissolved substances.
 Rain, molten solid snow and frost constantly erode the land.  In this way, the broken parts keep reaching from the drains or small rivers to the big rivers and from them to the sea.
 The rivers or other flowing waters cut off the edges and land of water, the soil is carried downstream from high places.  Such soil reaches the sea in a very big result and works to bridge the sea.  The water falling into the sea contains various dissolved salts other than soil.
 In arid provinces, where vegetation is not covered, the air carries immense sand from one place to another.  Thus the sand of the Sahara desert reaches the island of Sicily on one side and the coast of Nigeria on the other.  Sand blown by air cuts the soft parts of the rocks or high rocks and changes their shape.  The matter flowing in the water always goes from the top to the bottom, but the soil which is blown by air can also go from the bottom to the high places.
 The moving ice erodes the rocks it passes through and thus carries the released material with it.  Compared to the work of air and rivers, except in Dhruv Pradesh, the activity of snow is less in other parts of the earth.
                                           Thank You.

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